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आरती राणी रुपादे जी

आरती री वेळा राणी रुपांदे जी आवजो, सगती पधार्यां संत काज सरे ।

संतो वाळी जाजम जुगत कर सेवा, कलष थपांणा जयकार करे।

भगती भाव भरे।।

आरती री वेळा राणी रुपांदे जी………………………..टेर

(1)

सोई निज धरम हलायो पंथ सतियां, अव्वल अनादि आदू रीत अठै।

माला री अरध्ंगा,मालाणी गढ महेवो, जळ हळ जग मग जोत जठै।।1

आरती री वेळा राणी रुपांदे जी……………………………….

(2)

लिखियोड़ा लेख लालर बाई लाया, धन अलसी घर जनम धरे।

भव भरथार रावळ जाय भेंटया,कवल बंधाणा पूरा वचन करे।।2

आरती री वेळा राणी रुपांदे जी……………………………….

(3)

बदरा जी री बाळा वीणा तम्बूरा बजाविया,नाथ ने निवाज्यां नित नैम निभै।

भाटी ऊगमसी सद् गुरु भेंटया, अलख अराधे कर जोड़ उभै।।3

आरती री वेळा राणी रुपांदे जी……………………………….

(4)

होय पटराणी रावळ संग हाली, भजन भरोसो खरो हरि ने भजै।

निरख्या नाथ माल राजा निजरां, सजोड़े धरम ज्यांरा काज सजै।।4

आरती री वेळा राणी रुपांदे जी……………………………….

(5)

अलख उपासी धारु मेघ रे आंगणिये, थावर बीज ने सुथान थपै।

मेट दीना वहेम जोये झीणोड़ो मारगियो,जद रावळ निज नाम जपै।।5

आरती री वेळा राणी रुपांदे जी……………………………….

(6)

साधुजन सेवना अलख नाम सुमरण, भगती भजन पंथ मनड़ै भावै।

रावळ राणी मिल रिझाविया, पद अमरापुर जद पावै।।6

आरती री वेळा राणी रुपांदे जी……………………………….

(7)

संतन षिरोमणी सुणो हे मात सगती,जुग जुग नव खण्ड ज्यौत जळे।

कहे कवि श्काळूश् आप परम किरपाळू, मन रंग भगती सहु ने मळे।।7

आरती री वेळा राणी रुपांदे जी……………………………….

आरती श्री रावल मल्लीनाथ जी

मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी, धीर पुरुष थांरो ध्यान धरे। संत करे सेवा सेवक जन सिमरे कनक कलश लई आरती करे।।

मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी ।
मेहर करी ने पधारो मल्लीनाथ जी ।।

अलख अलख बोलो होवे रे आरती, जय जय जय मल्लीनाथ जठै।
कुंकुं केरा चरण पेरण ने केशरिया, अवल तणो आधार अठै ।।

मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी ।
मेहर करी ने पधारो मल्लीनाथ जी ।।

मालाणी रा भूप रावळ गढ़ मेहवे, अलख घणी ने घ्यायो आप अठै।
सगत सरूपी राणी रूपांदे सजोडे, जुगत सूं पूगा निज धाम जठै ।।

मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी ।
मेहर करी ने पधारो मल्लीनाथ जी ।।

शूरा पूरा संत साधक हर सेवक, सुघड़ साघुड़ा मांही नाम सरे ।
राजा इक जनक विदेही जेवो रावळ, मेख धरी ने मन मोद भरे ।।

मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी ।
मेहर करी ने पधारो मल्लीनाथ जी ।।

मेहवे गढपति राणी रूपांदे रो मेलो, घारू मेघ धणियां रा ध्यान धरे ।
ऊगमसी पधारे गुरू सत्तरे आंगणिये, कामड़िया साधुड़ा थांरा भजन करे।।

मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी ।
मेहर करी ने पधारो मल्लीनाथ जी ।।

राम घणी आया रावत आया रणसी, आया बाळीनाथ जोगी छेलणसी अठै।
कुम्मो राणो लिरल बाई खीमड़ो जी कोटवाळ, जैसल तोरल करी जातरा जठे।।

मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी ।
मेहर करी ने पधारो मल्लीनाथ जी ।।

मेळो मालाजाळ हरि नाम रा मोतिडा, कर्म सुभागी ज्यांरा पाप कपै प्रेम रस पीधा सत वचनों रा प्याला, तखत त्रिवेणी ऊपर आप तपै ।।

मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी।
मेहर करी ने पधारो मल्लीनाथ जी ।।

मळयो झीणो पंथ वैराग वाळो मारग, कठण जोग जन भजन करे।

दोय कर जोड़ कवि “काळू” गावै, संतो री शरण गया जीवन सरे ।
मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी धीर पुरुष थांरो ध्यान घरे संत करे सेवा सेवक जन सिमरे, कनक कलश लई आरती करे।।

मेहर करी ने पधारो रावळ मालजी ।
मेहर करी ने पधारो रावल मालजी ।।

मेहर करी ने पधारो रावल मालजी ।
मेहर करी ने पधारो मल्लीनाथ जी।।